एक बेटी “जब” पराई हो जाती है… बचपन से जवानी रह कर मायके मे वो फिर भी पराया धन कहलाती है। जिस आँगन मे खेलकर बड़ी हुई वही मेहमानो की तरह आती है। जिनसे जिद कर लड़कर छीनती थी खिलौने उन भाई बहनों के लिए सौगात ढेरों लाती है बचपन से सहेजकर रखते है माँ बाप उसे पर आमानत वो…