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सहम उठते हैं कच्चे मकान पानी के खौफ़ से …..
सहम उठते हैं कच्चे मकान पानी के खौफ़ से. महलों की आरज़ू ये है कि बरसात तेज हो!!
सहम उठते हैं कच्चे मकान पानी के खौफ़ से. महलों की आरज़ू ये है कि बरसात तेज हो!!
यहाँ से दूर उतारो अपने जूते..हम इस देहलीज़ पर सर फोड़ते हैं
कातिल… कोई अपना ही होगा साहेब…लाश जो… छाँव में पड़ी थीं…!!
दब के मर जाओगे जवाबों में…पूछना मत कि ज़िन्दगी क्या है…!!
रुप भी औरत के लिए अजीब सी आफत है,..सुंदर हो तो दुनियाँ सताती है, ना हो तो आईना… !!.
हराम की कमाई से… जगमगा रहीं है हवेलियाँ…हलाल रिज्क़ की तलाश में… कई खुद्दार मर गये…!!
ज़ख़्म खाने की कोई उम्र नहीं होती…उम्र के अपने ज़ख़्म होते हैं…!!
वक्त ने दिखा दी… सब की असलियत…वर्ना हम तो वो थे… जो सबको अपना कहते थे…!!
हवा की नमी बता रही है…ये तुमको छूकर आ रही है…!!
जिनके किरदार बहुत मैले थे…लोग वो… सफेद लिबासों में मिले…!!