Sad Shayari

रस्म-ए-मोहब्बत सिर्फ हमने निभाया है..

रस्म-ए-मोहब्बत सिर्फ हमने निभाया है..वो जब भी जाने को थे हमने बुलाया है..!!बदसूरत तो नहीं थी बद सिरत थी वो..दिल-ए-दरवेश में अब गमों का साया हैउल्फत का सिला उसने दिया था मुझे,हाँ, खूबसूरत चेहरे से एहतियात बताया है..!

Sad Shayari

दो – चार पल मुझसे बात तो कर

अब कहा लगता की वो कसमे निभाह रही है | मेरी खूशी के लिये बस रसमे निभाह रही है | दो – चार पल मुझसे बात तो कर ठहर तो सही | ऐसी कौनसी जल्दी है तु कहा जा रही है | Ab kaha lagata kee vo kasame nibhaah rahee hai . Meree khooshee ke liye bas rasame nibhaah rahee…

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