रस्म-ए-मोहब्बत सिर्फ हमने निभाया है..
वो जब भी जाने को थे हमने बुलाया है..!!
बदसूरत तो नहीं थी बद सिरत थी वो..
दिल-ए-दरवेश में अब गमों का साया है
उल्फत का सिला उसने दिया था मुझे,
हाँ, खूबसूरत चेहरे से एहतियात बताया है..!
रस्म-ए-मोहब्बत सिर्फ हमने निभाया है..
वो जब भी जाने को थे हमने बुलाया है..!!
बदसूरत तो नहीं थी बद सिरत थी वो..
दिल-ए-दरवेश में अब गमों का साया है
उल्फत का सिला उसने दिया था मुझे,
हाँ, खूबसूरत चेहरे से एहतियात बताया है..!